DSP की पत्नी ने नियमों की उड़ाई धज्जियां, नीली बत्ती वाली गाड़ी के बोनट पर बैठकर काटा केक, ड्राइवर पर FIR

अंबिकापुर। बलरामपुर में पदस्थ एक डीएसपी की पत्नी का नीली बत्ती लगी सरकारी गाड़ी के बोनट पर बैठकर जन्मदिन मनाने का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। इस मामले में पुलिस ने भले ही वाहन चालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है, लेकिन अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाली अधिकारी की पत्नी पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?

क्या है पूरा मामला?

मामला बलरामपुर जिले में पदस्थ डीएसपी तस्लीम आरिफ से जुड़ा है। हाल ही में उनकी पत्नी का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे एक सरकारी XUV 700 वाहन के बोनट पर बैठकर केक काट रही थीं और जन्मदिन मना रही थीं। खास बात यह है कि इस गाड़ी पर नीली बत्ती लगी हुई थी, जो आमतौर पर सरकारी अधिकारियों के उपयोग के लिए निर्धारित होती है। वीडियो में यह भी साफ दिख रहा है कि कार के दरवाजों, सनरूफ और डिक्की पर भी अन्य लोग बैठे हुए थे।

एक अन्य वीडियो में डीएसपी के परिवार के सदस्य एक और सरकारी वाहन में बैठकर वाटरफॉल की ओर घूमने जाते नजर आ रहे हैं। यानी साफ है कि सरकारी संसाधनों का निजी उपयोग न सिर्फ खुलेआम हो रहा था, बल्कि उसे दिखाने में भी कोई संकोच नहीं था।

ड्राइवर पर एफआईआर, लेकिन बाकियों पर खामोशी क्यों?

वायरल वीडियो की पुष्टि होने के बाद अंबिकापुर के गांधीनगर थाने में वाहन चालक के खिलाफ BNS की धारा 281 और मोटर व्हीकल एक्ट की धाराओं 184 और 177 के तहत मामला दर्ज किया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि चालक ने नियमों को नजरअंदाज करते हुए दरवाजे, बोनट और सनरूफ पर लोगों को बैठाकर वाहन चलाया, जिससे यह लापरवाही और खतरनाक ड्राइविंग की श्रेणी में आता है।

लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम में वाहन का दुरुपयोग करने वाली डीएसपी की पत्नी और बाकी लोगों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है। न तो उनके खिलाफ कोई पुलिस रिपोर्ट दर्ज हुई है और न ही प्रशासन की ओर से कोई सार्वजनिक बयान।

क्या कानून सिर्फ आम लोगों पर लागू होता है?

इस पूरे प्रकरण ने यह बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या देश में कानून सिर्फ आम नागरिकों और ड्राइवरों पर ही लागू होता है? जब किसी आम व्यक्ति द्वारा ऐसा किया जाता है तो त्वरित कार्रवाई होती है, लेकिन यहां एक उच्च पुलिस अधिकारी की पत्नी नियमों को खुलेआम तोड़ रही है और उस पर कोई जवाबदेही तय नहीं हो रही है।

अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या कानून वास्तव में समान रूप से सभी पर लागू होता है या फिर यह मामला भी रसूख और पद की आड़ में दबा दिया जाएगा। जनता और सोशल मीडिया पर उठती आवाजें यही मांग कर रही हैं कि इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई हो और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग पर रोक लगे।

अगर प्रशासन और पुलिस सच में निष्पक्षता का दावा करते हैं, तो यह देखना जरूरी होगा कि डीएसपी की पत्नी और अन्य जिम्मेदार लोगों पर कब और क्या कदम उठाए जाते हैं।

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