124 साल पुरानी परंपरा में झूमे श्रद्धालु, देवभोग में निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी हुए शामिल

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के देवभोग में 124 साल पुरानी पारंपरिक रथ यात्रा का भव्य आयोजन आज भी आस्था और उल्लास के साथ संपन्न हुआ। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथ यात्रा देखने और रथ खींचने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु उमड़ पड़े। ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों की पीड़ा हरने मौसी के घर (गुंडीचा मंदिर) के बहाने नगर भ्रमण पर निकलते हैं। इसी परंपरा का निर्वहन आज भी पूरी श्रद्धा के साथ किया गया।

रथ खींचने से कटते हैं ग्रह दोष
रथ खींचने की मान्यता को लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु रथ की रस्सी थामे दिखे। लोगों का मानना है कि भगवान के रथ को खींचने से ग्रह दोष दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। मंदिर परिसर से निकलते ही भगवान का भव्य स्वागत हुआ और दुर्गा मंदिर परिसर में बनाए गए अस्थायी गुंडीचा मंदिर तक उन्हें ले जाया गया, जहां भगवान कुछ दिनों तक विश्राम करेंगे।

‘बोल कालिया’ की धुन पर झूमे भक्त
अमलीपदर में रथ यात्रा का सबसे आकर्षक पल तब आया, जब मंदिर के पुजारी पंडित युवराज पांडेय ने भगवान को कंधे पर उठाकर मंदिर द्वार से बाहर लाया। उस वक्त उपस्थित श्रद्धालु ‘बोल कालिया’ की गूंज के साथ भक्ति में झूमते नजर आए। मंदिर से रथ तक भगवान को ले जाने की इस प्रक्रिया ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। रथ मंदिर से चलकर बाजार चौक स्थित अस्थायी गुंडीचा मंदिर तक पहुंचा, जिसे पूरी के गुंडीचा मंदिर की तर्ज पर सजाया गया था।

पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने लिया हिस्सा
इस ऐतिहासिक रथ यात्रा महोत्सव में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने भगवान जगन्नाथ के मंदिर में दर्शन कर पूजा-अर्चना की और भगवान से प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की। उनके साथ पांच अन्य विधायक और कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी मौजूद थे। अमलीपदर पहुंचने पर जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम और जनपद सदस्य तपेश्वर ठाकुर के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया।

गांव-गांव से उमड़े श्रद्धालु
देवभोग और आसपास के गांवों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु रथ यात्रा देखने पहुंचे थे। हर उम्र के लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे नजर आए। महिलाएं पूजा की थाली लेकर रथ की आरती उतारती दिखीं, तो बच्चे ढोल-नगाड़ों की ताल पर झूमते नजर आए।

संस्कृति और भक्ति का संगम
देवभोग की यह रथ यात्रा केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है। वर्षों पुरानी इस परंपरा में आज भी वही श्रद्धा और उत्साह देखने को मिला, जो इसे अनोखा बनाता है। आयोजकों के अनुसार अगले कुछ दिनों तक भगवान जगन्नाथ अस्थायी गुंडीचा मंदिर में रहेंगे और फिर ‘बहुदा यात्रा’ के माध्यम से वे वापस श्री मंदिर लौटेंगे।

Youthwings