Deputy CM Arun Sao ने रायपुर-विशाखापट्टनम एक्सप्रेसवे का किया औचक निरीक्षण, निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर दिया जोर

Arun Sao On Bharatmala Project
रायपुर: Deputy CM Arun Sao ने रविवार को भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे रायपुर-विशाखापट्टनम एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अभनपुर क्षेत्र में निर्माणाधीन ओवरब्रिज और सड़क की स्थिति का जायजा लिया और अधिकारियों से निर्माण कार्य की गुणवत्ता, सामग्री और प्रगति की विस्तार से जानकारी ली।
निरीक्षण के दौरान भारतमाला प्रोजेक्ट और लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। अरुण साव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि निर्माण कार्य समयसीमा के भीतर और तय मानकों के अनुरूप पूरा किया जाए।
गुणवत्ता और पारदर्शिता पर जोर
डिप्टी सीएम ने अभनपुर के बाद भेलवाडीह ग्राम पंचायत के पास सड़क निर्माण कार्य का भी निरीक्षण किया। यहां उन्होंने निर्माण सामग्री की गुणवत्ता और तकनीकी पहलुओं के बारे में जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि निर्माण में सभी तकनीकी और गुणवत्ता मानकों का पालन किया जा रहा है।
जनता को मिलेगा सीधा फायदा
निरीक्षण के बाद उप मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार की यह क्रांतिकारी परियोजना छत्तीसगढ़ की जनता के लिए एक बड़ी सौगात है। रायपुर से विशाखापट्टनम तक सीधा और तेज़ सफर संभव होगा, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी। इसके साथ ही यह एक्सप्रेसवे राज्य को आंध्र प्रदेश और ओडिशा से जोड़ने वाला एक प्रमुख आर्थिक गलियारा बनकर उभरेगा।
एक्सप्रेसवे की विशेषताएं
464 किमी लंबे इस 6 लेन एक्सप्रेसवे का अधिकांश कार्य लगभग पूरा हो चुका है। यह हाईवे रायपुर से होकर धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरापुट और विशाखापट्टनम को जोड़ेगा, और अंत में विशाखापट्टनम पोर्ट पर समाप्त होगा। भारतमाला परियोजना के तहत इसका निर्माण किया जा रहा है।
मुआवजा घोटाले की जांच की मांग
हालांकि इस महत्वाकांक्षी परियोजना में भूमि अधिग्रहण से जुड़ी शिकायतें भी सामने आई हैं। कई किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था, जिसके बाद सरकार ने मुआवजा घोटाले की जांच के आदेश दिए।
क्या कहता है भूमि अधिग्रहण कानून?
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार, यदि किसी किसान से 5 लाख रुपए की कीमत वाली जमीन अधिग्रहित की जाती है, तो उसे उतनी ही राशि सोलेशियम के रूप में मिलनी चाहिए। यानी कुल 10 लाख रुपए मुआवजा और 10 लाख सोलेशियम मिलाकर कुल 20 लाख की राशि देनी होती है। लेकिन कई मामलों में किसानों को यह राशि नहीं मिल पाई, जिस पर अब जांच की जा रही है।