रायपुर में फर्जी खुफिया अफसर बनकर ठगी: यूपी का शातिर आरोपी गिरफ्तार, 6 महीने में 14 लाख का लेन-देन

रायपुर। राजधानी रायपुर से एक हैरान कर देने वाला साइबर ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें खुद को पुलिस का खुफिया अधिकारी बताकर एक शातिर ठग ने एक युवक से 39,000 रुपये की ठगी कर ली। इस मामले में पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए अंतर्राज्यीय गिरोह से जुड़े आरोपी को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की पहचान उत्तर प्रदेश के बोंदा जिले के रहने वाले बालमीक तिवारी के रूप में हुई है, जो फिलहाल दिल्ली के बलजीन नगर में रह रहा था।
कैसे हुई ठगी?
यह मामला 29 मई 2025 का है। सिलयारी निवासी मोहर दास बंजारे को एक अनजान नंबर से कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को पुलिस का खुफिया अधिकारी (Intelligence Officer) बताया। आरोपी ने कहा कि एक वांछित आरोपी को पकड़ने के लिए एक सिविलियन खाते में रकम भेजने की जरूरत है।
प्रार्थी को विश्वास दिलाया गया कि यह रकम बाद में लौटा दी जाएगी, और वह खुद सिलयारी आकर पैसे वापस करेगा। भरोसे में आए पीड़ित ने दो बार में कुल 39,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए। लेकिन इसके बाद आरोपी न तो सिलयारी पहुंचा, न ही पैसे लौटाए।
पुलिस की तत्परता और गिरफ्तारी
पीड़ित की शिकायत पर धरसींवा थाना पुलिस ने बीएनएस की धारा 318 और 319 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की। एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट और सिलयारी चौकी पुलिस की संयुक्त टीम ने तकनीकी जांच, बैंक ट्रांजैक्शन और कॉल डिटेल्स के आधार पर आरोपी को दिल्ली में ट्रेस कर लिया।
टीम ने दिल्ली में लगातार कैंप कर आरोपी बालमीक तिवारी को गिरफ्तार किया और पूछताछ में उसने इस ठगी में अपने अन्य साथियों के शामिल होने की बात भी स्वीकार की।
आरोपी के खाते से 6 महीने में 14 लाख का लेनदेन
गिरफ्तारी के बाद जब आरोपी के बैंक खातों की जांच की गई, तो पुलिस को पता चला कि बीते 6 महीनों में लगभग 14 लाख रुपये का संदिग्ध लेन-देन किया गया है। पुलिस को शक है कि यह रकम साइबर ठगी और दूसरे ऑनलाइन अपराधों के जरिए प्राप्त की गई है।
मामले में घटना में प्रयुक्त मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया है, और आरोपी के नेटवर्क व अन्य फरार साथियों की तलाश भी की जा रही है।
ठगी का नया तरीका: फर्जी अधिकारी बनकर भरोसा जीतना
यह मामला साइबर अपराधियों के नए और खतरनाक तरीकों को उजागर करता है। अब ठग खुद को कभी खुफिया अधिकारी, कभी बैंक अफसर या कभी टेक्निकल सपोर्ट एजेंट बताकर आम लोगों को विश्वास में लेते हैं और धोखाधड़ी करते हैं।