दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पतंजलि च्यवनप्राश के विज्ञापनों पर लगी रोक, डाबर की याचिका पर सुनाया आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद को बड़ा झटका देते हुए पतंजलि च्यवनप्राश के विज्ञापनों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। कोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि पतंजलि डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कोई भी भ्रामक या नकारात्मक प्रचार नहीं कर सकती।
यह आदेश Dabur India द्वारा दायर याचिका पर आया, जिसमें डाबर ने पतंजलि पर गंभीर आरोप लगाए थे। Dabur ने अदालत को बताया कि पतंजलि द्वारा प्रसारित किए जा रहे विज्ञापन न सिर्फ उसके उत्पाद को “साधारण” बता रहे हैं, बल्कि उपभोक्ताओं को भी गुमराह कर रहे हैं। डाबर ने इस दावे को खारिज किया कि पतंजलि का च्यवनप्राश 51 जड़ी-बूटियों से बना है, जबकि सच्चाई में उसमें सिर्फ 47 जड़ी-बूटियाँ हैं। इसके अलावा, Dabur ने यह भी आरोप लगाया कि पतंजलि के उत्पाद में पारा (Mercury) पाया गया है, जो खासतौर पर बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है।
कोर्ट ने डाबर की दलीलों को गंभीरता से लेते हुए पतंजलि को ऐसे भ्रामक विज्ञापन दिखाने से रोका और निर्देश दिए कि वह किसी भी प्रतिस्पर्धी ब्रांड के खिलाफ गलत सूचना फैलाने वाले प्रचार से परहेज करे। अदालत ने यह भी माना कि पतंजलि के विज्ञापन उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सकते हैं और बाजार में डाबर जैसी प्रतिष्ठित कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
गौरतलब है कि डाबर भारत में च्यवनप्राश बाजार का 61.6% हिस्सा रखती है और मार्केट लीडर है। डाबर की ओर से वरिष्ठ वकील संदीप सेठी ने अदालत में पक्ष रखा, जबकि पतंजलि की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव नायर और जयंत मेहता पेश हुए।
Dabur ने कोर्ट को यह भी जानकारी दी कि अदालत से नोटिस मिलने के बावजूद पतंजलि ने पिछले कुछ हफ्तों में 6,182 बार अपने विवादित विज्ञापन प्रसारित किए।
इस मामले की अगली सुनवाई अब 14 जुलाई को होगी। तब तक पतंजलि को अपने च्यवनप्राश के विज्ञापन दिखाने से रोक दिया गया है।