मां बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट चुनाव से पहले सियासी घमासान, सदस्यता बहाली को लेकर मचा बवाल

डोंगरगढ़। मां बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट समिति का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे मंदिर की सीढ़ियों पर सियासत की सरगर्मी भी चरम पर पहुंचती दिख रही है। शुक्रवार रात एक बार फिर ट्रस्ट कार्यालय छिरपानी में राजनीतिक तनाव और आरोप-प्रत्यारोप का दौर देखने को मिला। ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष नारायण अग्रवाल और पूर्व मंत्री नवनीत तिवारी जब सदस्यता बहाली का कोर्ट आदेश लेकर पहुंचे, तो ट्रस्ट अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने उनका आवेदन लेने से साफ इनकार कर दिया।
सदस्यता बहाली पर विवाद, कोर्ट आदेश को बताया नजरअंदाज
पूर्व अध्यक्ष नारायण अग्रवाल ने आरोप लगाया कि पंजीयक द्वारा उनकी सदस्यता बहाल करने का आदेश दिया गया है, लेकिन ट्रस्ट प्रशासन कोर्ट के आदेश के बावजूद न केवल उनका आवेदन लेने से मना कर रहा है, बल्कि उन्हें ट्रस्ट कार्यालय में घुसने तक नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि यह सीधे तौर पर अवमानना की श्रेणी में आता है।
ट्रस्ट अध्यक्ष ने आरोपों को बताया साजिश
वहीं ट्रस्ट अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने नारायण अग्रवाल के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे वर्तमान ट्रस्ट को बदनाम करने की साजिश बताया। उनका कहना है कि ट्रस्ट किसी भी बाहरी दबाव में आकर काम नहीं करेगा और नियमों और कानूनी प्रक्रिया के तहत ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
चुनाव नजदीक, सियासत तेज
बम्लेश्वरी मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि डोंगरगढ़ की राजनीति का एक अहम मंच भी बन चुका है। हर चुनाव से पहले ट्रस्ट समिति में ऐसे ही आरोप-प्रत्यारोप, खींचतान और गुटबाजी का सिलसिला आम हो गया है। शुक्रवार की रात हुई इस नोकझोंक के बाद अब पूरे शहर में चर्चा का बाजार गर्म है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या मंदिर जैसी पवित्र जगह पर राजनीतिक दांव-पेच उचित हैं?
खर्च और रणनीति पर भी उठ रहे सवाल
सूत्रों का दावा है कि ट्रस्ट चुनाव में दोनों प्रमुख पैनल लाखों रुपये प्रचार, बैठकों और रणनीति पर खर्च कर रहे हैं। ऐसे में यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या यह सब महज आस्था के नाम पर हो रहा है, या फिर चुनाव जीतने के बाद उसकी भरपाई की भी योजना होती है?
आस्था बनाम राजनीति: शहर में गूंज रहा सवाल
मां बम्लेश्वरी मंदिर, जहां हजारों श्रद्धालु हर दिन दर्शन के लिए आते हैं, वहां राजनीति का इस तरह हावी होना आस्था को ठेस पहुंचाने जैसा माना जा रहा है। स्थानीय लोग चिंता जता रहे हैं कि धार्मिक संस्थाओं में चुनावी राजनीति का दखल कहीं विश्वास और श्रद्धा को कमजोर न कर दे।
चुनाव की उल्टी गिनती शुरू, घटनाक्रम रहेंगे जारी
जैसे-जैसे ट्रस्ट चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे नाटकीय घटनाओं की रफ्तार भी तेज होती दिख रही है। यह तो तय है कि आने वाले दिनों में मां बम्लेश्वरी ट्रस्ट चुनाव केवल एक धार्मिक संस्था का चुनाव नहीं, बल्कि एक सियासी रणभूमि बनता जा रहा है, जहां हर कदम रणनीति और विरोध से भरा होगा।