प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने सीएम से की मांग—पाठ्यपुस्तकें ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएं

रायपुर। छत्तीसगढ़ के निजी स्कूलों में पढ़ रहे हजारों बच्चों की पढ़ाई इस समय पाठ्यपुस्तकों की अनुपलब्धता के कारण प्रभावित हो रही है। प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने इस गंभीर मुद्दे को उठाते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखा है और मांग की है कि जब तक निशुल्क पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध नहीं हो जातीं, तब तक कम से कम उनकी पीडीएफ कॉपियां ऑनलाइन अपलोड की जाएं, ताकि छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो।
पुस्तक वितरण में हो रही देरी से बढ़ी चिंता
एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा है कि हर साल की तरह इस साल भी राज्य पाठ्यपुस्तक निगम को अशासकीय स्कूलों में निशुल्क किताबें बांटनी थीं, लेकिन स्कूल खुलने के एक सप्ताह से अधिक बीतने के बावजूद अब तक किसी भी स्कूल को पुस्तकें नहीं मिली हैं। इतना ही नहीं, पुस्तकों की खेप अभी तक डिपो तक भी नहीं पहुंची है, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि किताबें छात्रों तक पहुंचने में 15 जुलाई तक का समय लग सकता है।
शुरुआती पढ़ाई पर पड़ा असर
एसोसिएशन का कहना है कि स्कूल खुलने के बाद का यह शुरुआती समय बच्चों की बुनियादी पढ़ाई के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। लेकिन पाठ्यपुस्तकों के अभाव में शिक्षक और स्कूल प्रबंधन असमंजस में हैं कि पढ़ाई कैसे शुरू करें। इस स्थिति में समय की बर्बादी हो रही है और बच्चों की पढ़ाई का नुकसान भी हो रहा है।
प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों की मजबूरी
एसोसिएशन ने यह भी बताया कि किताबों की आपूर्ति में देरी की वजह से कई निजी स्कूल अब मजबूरी में निजी प्रकाशकों की किताबें बच्चों को उपलब्ध करा रहे हैं। इससे ना सिर्फ अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है, बल्कि यह शिक्षा के सरकारी ढांचे की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है।
सीएम से की ऑनलाइन व्यवस्था की अपील
मुख्यमंत्री को संबोधित अपने पत्र में एसोसिएशन ने यह मांग की है कि जब तक किताबों की भौतिक प्रति नहीं मिलती, तब तक राज्य पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से उन किताबों की पीडीएफ कॉपी वेबसाइट या किसी अन्य डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराई जाए, जिससे स्कूल कम से कम ऑनलाइन या प्रिंट आउट के जरिए छात्रों को शुरुआती अध्याय पढ़ा सकें।
सरकार की चुप्पी से असंतोष
हालांकि इस मुद्दे पर सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन शिक्षा से जुड़े संगठनों और अभिभावकों में इस देरी को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है। एसोसिएशन का कहना है कि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो प्रदेश के हजारों छात्रों का शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले ही पटरी से उतर सकता है।