Chhattisgarh Naxal Surrender News: छत्तीसगढ़ में 1521 नक्सलियों ने छोड़ा हिंसा का रास्ता, सीएम साय बोले- “अब गोली नहीं, विकास की बोली गूंज रही है”

Chhattisgarh Naxal Surrender News

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Chhattisgarh Naxal Surrender News: छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में बदलाव की बयार बह रही है। कभी नक्सल हिंसा के गढ़ रहे इलाकों में अब विकास की गूंज सुनाई देने लगी है। इसी परिवर्तन की मिसाल बना है हालिया घटनाक्रम, जब बीते 24 घंटों में कुल 45 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें सुकमा जिले में ही 1.18 करोड़ के इनामी 23 नक्सली शामिल हैं। यह सब उस व्यापक प्रयास का नतीजा है, जो सरकार की “नवीन आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और “नियद नेल्ला नार” जैसी योजनाओं के तहत चलाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा- ये विश्वास की जीत है

इस घटनाक्रम पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ के माध्यम से प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

“यह केवल आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि विश्वास की जीत है। अब छत्तीसगढ़ में बंदूक की गोली नहीं, विकास की बोली गूंज रही है।”

सीएम साय ने बताया कि बीते 15 महीनों में कुल 1521 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर लोकतंत्र पर विश्वास जताया है। यह दर्शाता है कि अब सरकार की पहुँच और भरोसा जंगलों के भीतर तक बन चुका है।

आत्मसमर्पण के पीछे हैं सरकारी योजनाएं

राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत नक्सलियों को सिर्फ हथियार छोड़ने का मौका नहीं, बल्कि सामाजिक पुनर्वास, सम्मानजनक जीवन और आजीविका के साधन भी मुहैया कराए जा रहे हैं। ‘नियद नेल्ला नार’ योजना के तहत पुलिस कैंपों के आसपास के गांवों में आधारभूत सुविधाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के साधनों का विस्तार किया गया है, जिसका सीधा असर अब सामने आ रहा है।

पीएम मोदी और अमित शाह के नेतृत्व का जिक्र

मुख्यमंत्री साय ने आत्मसमर्पण की इस लहर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व और मार्गदर्शन का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि सुशासन और सुरक्षा के विजन के चलते ही राज्य के सबसे संवेदनशील और दूरस्थ क्षेत्रों में भी अब लोकतंत्र की लौ जल रही है।

सुकमा में आत्मसमर्पित नक्सलियों की जानकारी

सुकमा में आत्मसमर्पण करने वाले 23 नक्सलियों में—

  • 1 डीव्हीसीएम

  • 6 पीपीसीएम

  • 4 एसीएम

  • 12 जनमिलिशिया सदस्य शामिल हैं।
    इनमें से 9 महिलाएं और 14 पुरुष हैं, जिनमें 3 नक्सली दंपत्ति भी शामिल हैं। ये सभी किसी न किसी रूप में पीएलजीए बटालियन और अन्य सक्रिय संगठनों से जुड़े थे।

आगे क्या?

राज्य सरकार का मानना है कि यह सिलसिला यहीं नहीं थमेगा। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सरकार नक्सलवाद को खत्म करने की निर्धारित समयसीमा के भीतर लक्ष्य हासिल करेगी और बस्तर का हर नागरिक विकास की मुख्यधारा से जुड़ सके, इसके लिए लगातार प्रयास जारी रहेंगे।

छत्तीसगढ़ में अब नक्सलियों के आत्मसमर्पण की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि बंदूक की जगह अब भरोसे, विकास और लोकतंत्र की ताकत ने ले ली है। मुख्यमंत्री साय का सख्त संदेश साफ है— अब नक्सली हिंसा की जगह सिर्फ “विकास” की बात होगी।

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