पद्मश्री कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे के निधन पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जताया शोक, परिजनों से की मुलाकात

रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रख्यात हास्य कवि और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. सुरेंद्र दुबे के निधन की खबर से प्रदेश में शोक की लहर है। जैसे ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को इस दुखद समाचार की जानकारी मिली, वे तुरंत कवि के निवास पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने दिवंगत कवि के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधाते हुए आश्वस्त किया कि इस कठिन समय में छत्तीसगढ़ सरकार उनके साथ है।
सोशल मीडिया पर भी जताया शोक
मुख्यमंत्री साय ने डॉ. दुबे के निधन पर गहरा दुख प्रकट करते हुए अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा—
“डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि समूचे साहित्यिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। अपने विलक्षण हास्य, तीक्ष्ण व्यंग्य और अनूठी रचनात्मकता के माध्यम से डॉ. दुबे ने न केवल देश-विदेश के मंचों को गौरवान्वित किया, बल्कि छत्तीसगढ़ी भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि डॉ. दुबे ने जीवनभर समाज को हँसी और व्यंग्य के माध्यम से प्रकाश दिया, लेकिन उनका अचानक यूं चले जाना सभी को गहरे शोक में डाल गया है।
साहित्यिक दुनिया को बड़ा नुकसान
मुख्यमंत्री साय ने डॉ. दुबे की जीवंतता और मंचीय उपस्थिति को याद करते हुए लिखा—
“डॉ. सुरेन्द्र दुबे की जीवंतता, उनकी ऊर्जा और साहित्य के प्रति समर्पण सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा। वे मंचीय काव्य परंपरा में हास्य और व्यंग्य को जिस गरिमा और गहराई से प्रस्तुत करते थे, वह अत्यंत दुर्लभ है।”
उन्होंने डॉ. दुबे को न केवल एक महान कवि, बल्कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति और साहित्य के संवाहक के रूप में भी श्रद्धांजलि दी।
अंतिम विदाई में सरकार रही साथ
मुख्यमंत्री ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की और शोक संतप्त परिजनों को यह असीम दुख सहने की शक्ति देने की कामना की। राज्य सरकार की ओर से कवि के अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भी पूर्ण सहयोग सुनिश्चित करने का भरोसा दिलाया गया है।
डॉ. सुरेंद्र दुबे: एक परिचय
डॉ. सुरेंद्र दुबे छत्तीसगढ़ के उन चुनिंदा कवियों में से थे, जिन्होंने हास्य-व्यंग्य की विधा को नई ऊंचाई दी। वे दूरदर्शन, अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वर्षों तक छाए रहे। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। उनके निधन से छत्तीसगढ़ ने एक अमूल्य रत्न खो दिया है।