मितानिन कार्यकर्ताओं का सरकार के खिलाफ मोर्चा, अनिश्चितकालीन काम बंद आंदोलन का ऐलान

रायपुर। छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली मितानिन कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान कर दिया है। अपनी तीन प्रमुख मांगों को लेकर हजारों मितानिन महिलाएं नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर एकत्रित हुईं और सांकेतिक धरना-प्रदर्शन किया।
स्वास्थ्य मितानिन संघ की पदाधिकारियों ने बताया कि 2023 के विधानसभा चुनाव में सरकार ने वादा किया था कि मितानिन, मितानिन प्रशिक्षक, हेल्प डेस्क फेसिलिटेटर और ब्लॉक कोऑर्डिनेटर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत लाया जाएगा। लेकिन इसके उलट, कार्यक्रम संचालन की जिम्मेदारी एक दिल्ली की एनजीओ को सौंप दी गई है। इससे मितानिनों ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया है।
प्रमुख मांगें:
- NHM में संविलियन का वादा पूरा किया जाए — चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार मितानिनों को NHM के तहत स्थायी किया जाए।
- 50% वेतन वृद्धि लागू की जाए — लंबे समय से वेतन नहीं बढ़ाया गया है, जिससे आर्थिक स्थिति खराब हुई है।
- ठेका प्रथा बंद की जाए — मितानिन कार्यकर्ता किसी एनजीओ के अधीन नहीं काम करेंगी, बल्कि उन्हें सरकारी कर्मचारी की तरह स्थायित्व मिले।
क्यों बढ़ा आंदोलन?
संघ का आरोप है कि 13 महीनों से मानदेय का भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। कभी-कभी 3–4 महीने की देरी से भुगतान होता है, जिससे मितानिनों की आर्थिक स्थिति बदतर हो चुकी है।
13 दिसंबर 2024 को भी अनिश्चितकालीन हड़ताल की गई थी, जिस पर सरकार ने सकारात्मक विचार का आश्वासन दिया था। लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
अब संघ ने दोबारा मोर्चा खोलते हुए 7 अगस्त 2025 से अनिश्चितकालीन काम बंद और कलम बंद आंदोलन का ऐलान कर दिया है। मितानिनों का कहना है कि यह केवल उनके वेतन या संविलियन की मांग नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं और महिला सशक्तिकरण से भी जुड़ा मुद्दा है।
एक मितानिन कार्यकर्ता का बयान: “हम अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतरी हैं। हमें स्थायित्व, सम्मान और समय पर वेतन चाहिए। अगर सरकार वादे नहीं निभाएगी, तो आंदोलन और तेज़ होगा।”