छत्तीसगढ़ में नया टैक्स सिस्टम, कारोबारियों की बल्ले-बल्ले!

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में व्यापार और वाणिज्य को सरल, पारदर्शी और सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए ‘माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2025’ पारित किया है। यह विधेयक न केवल व्यापारियों को कानूनी राहत प्रदान करेगा, बल्कि जीएसटी प्रणाली की जटिलताओं को भी दूर करेगा, जिससे प्रदेश में व्यापारिक माहौल को और अधिक सहयोगपूर्ण बनाया जा सकेगा।

इस संशोधन विधेयक का मुख्य उद्देश्य व्यापारिक प्रक्रियाओं को सुगम बनाना, कर विवादों का शीघ्र निराकरण करना, इनपुट टैक्स क्रेडिट में पारदर्शिता लाना और राज्य की आर्थिक संरचना को मजबूत करना है। इसके तहत केंद्र सरकार द्वारा वित्त अधिनियम 2025 में किए गए संशोधनों के अनुरूप कई तकनीकी एवं प्रक्रियागत बदलाव भी किए गए हैं।

इनपुट टैक्स क्रेडिट और आईएसडी नियमों में संशोधन

विधेयक में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को लेकर विशेष प्रावधान किए गए हैं। अब इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) नियम में बदलाव करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि IGST के अंतर्गत रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत प्राप्त ITC को संस्थान अपनी शाखाओं में वितरित कर सकेगा। यह बदलाव लंबे समय से चली आ रही विसंगतियों को समाप्त करेगा और ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देगा।

अपील में राहत: पूर्व डिपॉज़िट 25% से घटकर 10%

विधेयक में एक महत्वपूर्ण संशोधन यह किया गया है कि ऐसे मामलों में, जिनमें टैक्स डिमांड शामिल नहीं है, वहां अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील दायर करने हेतु पूर्व जमा राशि को 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे व्यापारियों को आर्थिक राहत मिलेगी और न्यायिक प्रक्रिया सुलभ होगी।

वाउचर टैक्स निर्धारण को लेकर स्पष्टता

पूर्व में जीएसटी प्रणाली में वाउचर पर कर निर्धारण को लेकर स्थिति अस्पष्ट थी। यह असमंजस बना रहता था कि वाउचर जारी करते समय जीएसटी लगेगा या रिडीम करते समय। विभिन्न एडवांस रूलिंग अथॉरिटी में इस विषय पर मतभेद थे। अब संशोधन विधेयक के माध्यम से स्पष्ट कर दिया गया है कि वाउचर रिडीम करते समय ही जीएसटी लागू होगा

तंबाकू उत्पादों पर ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली लागू

राज्य सरकार ने तंबाकू एवं संबंधित उत्पादों पर निगरानी को सख्त करते हुए ‘ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म’ लागू किया है। अब इन उत्पादों के प्रत्येक यूनिट पैकेट पर क्यूआर कोड अनिवार्य होगा, जिसे स्कैन करने पर निर्माता, विक्रेता, एमआरपी, बिल, भुगतान आदि की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। साथ ही, निर्माताओं और होलसेलर्स को इन पैकेट्स की आपूर्ति और मूवमेंट का सटीक रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होगा, जिससे जांच एजेंसियां किसी भी समय जानकारी प्राप्त कर सकेंगी

सेज़ क्षेत्रों को जीएसटी में विशेष राहत

विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) में कारोबार को बढ़ावा देने के लिए विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि फिजिकल मूवमेंट के बिना क्रय-विक्रय किए जाने पर अब जीएसटी लागू नहीं होगा। यह बदलाव सेज़ में निवेश और व्यापार को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने की दिशा में सहायक होगा।

‘प्लांट या मशीनरी’ की परिभाषा में बदलाव

संशोधन के अनुसार, अब ‘प्लांट या मशीनरी’ शब्द के स्थान पर ‘प्लांट और मशीनरी’ शब्द प्रयुक्त किया जाएगा। साथ ही, यह स्पष्ट किया गया है कि ‘प्लांट’ शब्द में ‘भवन’ सम्मिलित नहीं होगा, और इस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की पात्रता नहीं होगी

इसके अतिरिक्त, अब डिजिटल मुहर, डिजिटल चिन्ह या अन्य किसी विशिष्ट पहचान चिन्हांकन का प्रावधान भी विधेयक में जोड़ा गया है, जिससे वस्तुओं की निगरानी और पहचान सरल होगी।

छत्तीसगढ़ की जीएसटी प्रणाली में प्रगति

राज्य में 2024-25 के दौरान छत्तीसगढ़ को 16,299 करोड़ रुपये का जीएसटी राजस्व प्राप्त हुआ, जो राज्य के कुल कर राजस्व का 38 प्रतिशत है। इस अवधि में राज्य ने 18 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की है और इस प्रदर्शन के साथ छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर रहा है।

सरकार ने ई-वे बिल की सीमा को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 कर दिया है, जिससे 26 प्रतिशत छोटे व्यापारियों को कागजी प्रक्रिया से राहत मिली है।

प्रशासनिक सुधार और तकनीकी नवाचार

राज्य में पंजीकरण प्रक्रिया को 13 दिन से घटाकर केवल 2 दिन में पूर्ण किया जा रहा है। पहले जहां 15 जिलों में जीएसटी कार्यालय थे, अब राज्य के सभी 33 जिलों में कार्यालय स्थापित कर दिए गए हैं।

कर अपवंचन को रोकने के लिए सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स और बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट का गठन भी किया है, जिससे जीएसटी व्यवस्था और अधिक दक्ष व पारदर्शी बन सके।

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