Chhangur Baba Conversion Racket: बलरामपुर से उठा धर्मांतरण का कथित सिंडिकेट, ATS-ED की रडार पर बाबा जमालुद्दीन

Chhangur Baba Conversion Racket
Chhangur Baba Conversion Racket: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले से उठा एक नाम—छांगुर बाबा, जिसने न केवल राज्य की राजनीति को गर्मा दिया है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को भी हाई अलर्ट पर ला खड़ा किया है। भीख मांगने से शुरू हुआ ये सफर कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये के लेन-देन, विदेशों से फंडिंग और बड़े पैमाने पर धर्मांतरण रैकेट तक पहुंच गया है। आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं ये छांगुर बाबा, जिनके इर्द-गिर्द एक पूरे रैकेट की परतें खुल रही हैं।
भीख मांगने से ‘पीर’ बनने तक का सफर
बलरामपुर के रेहरा माफी गांव में जन्मे छांगुर बाबा का असली नाम जमालुद्दीन है। एक वक्त था जब वह साइकिल पर घूम-घूमकर नग और अंगूठियां बेचते थे, या फिर दरगाहों के पास चादर बिछाकर भीख मांगते थे। लेकिन समय के साथ उन्होंने खुद को “पीर बाबा” घोषित कर दिया और लोगों की भीड़ उनके इर्द-गिर्द जुटने लगी।
उनका प्रभाव इतना बढ़ा कि वो दो बार ग्राम प्रधान भी बने। इसके बाद उन्होंने अपनी एक ‘दरगाह’ बनाई और अलग-अलग स्रोतों से संपत्तियां भी अर्जित कीं।
मुंबई की महिला से रिश्ते और धर्मांतरण की शुरुआत
इस कहानी में नया मोड़ तब आया जब नीतू रोहरा, एक मुंबई की महिला, बाबा के संपर्क में आई। बताया गया कि नीतू ने इस्लाम कबूल कर लिया और नसरीन नाम रखकर बाबा के साथ बलरामपुर आकर बस गईं। यहीं से उनके आश्रम और एक कथित अस्पताल के निर्माण की शुरुआत हुई।
बब्बू चौधरी की शिकायत से हुआ भंडाफोड़
पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब बाबा के एक पुराने सहयोगी बब्बू चौधरी ने ATS को शिकायत भेजी। आरोप था कि बाबा धर्मांतरण का रैकेट चला रहे हैं। ATS ने 5 जुलाई को छांगुर बाबा और नीतू रोहरा को गिरफ्तार कर लिया।
100 करोड़ का लेनदेन और 40 से ज्यादा बैंक खाते
ATS की जांच में सामने आया कि छांगुर बाबा और उनके नेटवर्क ने कम से कम 40 बैंक खातों के ज़रिए करीब 100 करोड़ रुपये का लेनदेन किया है। यही वजह है कि अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मामले में जांच शुरू कर दी है कि आखिर ये पैसा कहां से आया और कहां गया?
बुलडोज़र चला, संपत्तियां ढही
बाबा की दरगाह समेत कई इमारतें सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण बताकर गिरा दी गईं। प्रशासन का कहना है कि ये संपत्तियां अवैध कब्जे के तहत थीं। बाबा की बहू साबिरा ने मीडिया से रोते हुए बताया कि पुलिस ने एक महीने से घर घेर रखा है, बच्चे डर के मारे कांपते हैं और CCTV तक तोड़ दिए गए।
गांव में सन्नाटा, लेकिन जुड़ी हैं बड़ी कड़ियाँ
स्थानीय लोग अब बाबा के बारे में बोलने से बच रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों ने इशारा किया कि बाबा का नेटवर्क मुंबई और उतरौला तक फैला हुआ है, जहां उन्होंने संपत्ति खरीदी-बेची। पुलिस के अनुसार, आजमगढ़ में भी उनके खिलाफ केस दर्ज हैं।
उनके कई सहयोगी और रिश्तेदार धर्मांतरण नेटवर्क में शामिल बताए जा रहे हैं। ATS को संदेह है कि यह पूरा मामला एक सुनियोजित अंतरराज्यीय रैकेट का हिस्सा है।
क्या है बाबा का सच?
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धर्मांतरण का रैकेट?
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विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल?
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सरकारी जमीनों पर कब्जा?
ये तमाम सवाल अब न्यायालय की जांच और निष्कर्ष पर टिके हैं। हालांकि छांगुर बाबा के मामले ने न केवल उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था, बल्कि राजनीति को भी एक नई बहस में ला दिया है। भाजपा नेता इसे संगठित साजिश बता रहे हैं, वहीं विपक्ष सरकार की ‘बुलडोजर नीति’ पर सवाल खड़े कर रहा है।
छांगुर बाबा की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक संभावित संगठित नेटवर्क की है, जिसकी जांच अब ATS, ED और स्थानीय प्रशासन की तिकड़ी कर रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला आस्था और सामाजिक कार्य का है या साजिश और कानून के उल्लंघन का। अदालत का फैसला इस पर अंतिम मुहर लगाएगा, लेकिन फिलहाल इस केस ने यूपी की राजनीति और प्रशासन दोनों को हिला कर रख दिया है।