CGMSC रीएजेंट घोटाले की जांच अब ED के हाथ में, IAS और नेताओं की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में हुए रीएजेंट घोटाले की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपने हाथ में ले ली है। इस मामले में पहले ही आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) द्वारा छह आरोपियों को गिरफ्तार कर करीब 18,000 पेज का चालान अदालत में पेश किया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक, ED ने यह केस स्वप्रेरणा से लिया है, और अब जांच का दायरा और गहराया जा सकता है।

IAS अधिकारियों और नेताओं पर भी गिर सकती है गाज

चालान में जिन दस्तावेजों और गवाहों का उल्लेख है, उनकी समीक्षा के बाद ED कुछ IAS अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुला सकती है। माना जा रहा है कि यह घोटाला पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था, और उस वक्त CGMSC, डायरेक्टर हेल्थ और NMM से जुड़े चार IAS अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। साथ ही, सूत्रों के अनुसार, ED इस घोटाले में शामिल कुछ राजनीतिक नेताओं को भी पूछताछ के लिए तलब कर सकती है।

EOW ने इन अफसरों को किया गिरफ्तार

अब तक EOW द्वारा जिन अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैं:

  • बसंत कुमार कौशिक – तत्कालीन प्रभारी महा प्रबंधक (उपकरण)

  • छिरोद रौतिया – तत्कालीन बायोमेडिकल इंजीनियर

  • कमलकांत पाटनवार – तत्कालीन उप प्रबंधक (उपकरण)

  • डॉ. अनिल परसाई – तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर (स्टोर)

  • दीपक कुमार बंधे – तत्कालीन बायोमेडिकल इंजीनियर

इन सभी को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है और मामले में अग्रिम विवेचना जारी है।

क्या है पूरा मामला?

यह घोटाला हमर लैब योजना के तहत हुआ, जो भारत सरकार की एक योजना है और इसे 15वें वित्त आयोग से फंड मिलता है। वर्ष 2019 में रायपुर के डॉ. अंबेडकर अस्पताल और पाटन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इस योजना के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। इसके बाद 2021 में इसे राज्य के सभी जिला, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में लागू करने का निर्णय लिया गया।

लेकिन विधानसभा चुनाव 2023 से ठीक पहले, CGMSC के अधिकारियों ने अचानक तेजी दिखाते हुए मोक्षित कॉर्पोरेशन से 300 करोड़ रुपए से अधिक के रीएजेंट्स और जांच मशीनें खरीद लीं। हैरानी की बात यह रही कि न तो यह देखा गया कि कितनी जरूरत है, और न ही यह कि इन्हें स्टोर करने के लिए रेफ्रिजरेटर उपलब्ध हैं या नहीं। कई जगहों पर रीएजेंट की आपूर्ति के बाद रेफ्रिजरेटर खरीदे गए।

सीजीएमएससी ने उपलब्ध फंड से मोक्षित कॉर्पोरेशन को पेमेंट कर दिया, लेकिन जब बचे हुए पैसे के लिए डायरेक्टर हेल्थ से बजट मांगा गया, तब यह पूरा मामला उजागर हुआ।

जांच रिपोर्ट में साफ जिम्मेदारी तय

इस अनियमितता को देखते हुए डायरेक्टर हेल्थ ऋतुराज रघुवंशी ने सात सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि सीजीएमएससी ने बिना आवश्यकता के करोड़ों रुपए के रीएजेंट की खरीदी की, और पूरी प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही बरती गई।

Youthwings