छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाले में CBI जांच को मिली मंजूरी, सभी आईजी– एसपी को समस्त दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए 570 करोड़ रुपये के कोल लेवी मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले की जांच अब सीबीआई करेगी। केंद्र सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (DSPE Act) की धारा-6 के तहत सीबीआई को विधिवत अनुमति दे दी है। यह मामला 2020 से 2022 के बीच का है, जब कोयला परिवहन के नाम पर प्रत्येक टन पर 25 रुपये की दर से अवैध वसूली कर लगभग 570 करोड़ रुपये एकत्र किए गए।
सूर्यकांत तिवारी: घोटाले का मास्टरमाइंड
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में रायपुर के व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी को इस घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। आरोप है कि उसने अफसरों, ट्रांसपोर्टरों और बिचौलियों के नेटवर्क के जरिए पूरा अवैध वसूली तंत्र खड़ा किया। फिलहाल सूर्यकांत तिवारी न्यायिक हिरासत में है और उसकी जमानत याचिकाएं कई बार खारिज हो चुकी हैं। हाल ही में उसके भाई नवनीत तिवारी को भी गिरफ्तार किया गया है।
गृह विभाग ने अधिकारियों को दिए जांच में सहयोग के निर्देश
छत्तीसगढ़ गृह विभाग की फाइल क्रमांक F No. 4-10/Home-C/ और पुलिस मुख्यालय के सीआईडी लीगल सेक्शन ने सभी रेंज आईजी और जिलों के एसपी को निर्देश दिए हैं कि वे CBI को हर संभव सहयोग करें और आवश्यक दस्तावेजों की तत्काल आपूर्ति करें।
ED की याचिका के बाद सीबीआई जांच को मिली मंजूरी
इस घोटाले को लेकर पहले से ही कानूनी प्रक्रिया चल रही थी। 14 अगस्त 2023 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर CBI जांच की मांग की थी। ईडी का कहना था कि उसने पीएमएलए की धारा 66 के तहत राज्य सरकार को सभी संबंधित दस्तावेज सौंपे थे, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।
ईडी ने यह भी आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ का EOW और ACB पूरी तरह से राज्य सरकार के नियंत्रण में हैं, जिससे निष्पक्ष जांच संभव नहीं है।
तीन वरिष्ठ अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली सशर्त जमानत
इस घोटाले में गिरफ्तार तीन वरिष्ठ अधिकारियों — आईएएस समीर विश्नोई, आईएएस रानू साहू, और तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया — को मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दी थी। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि ये अधिकारी छत्तीसगढ़ में नहीं रहेंगे और अन्य राज्यों के पुलिस थानों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।