प्रसूता की मौत का मामला: अस्पताल की लापरवाही उजागर, 3 कर्मचारी दोषी करार

रायपुर। बीरगांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में 22 वर्षीय प्रसूता साक्षी निषाद की मौत के मामले में अब सच्चाई सामने आने लगी है। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के निर्देश पर गठित चार सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें अस्पताल प्रबंधन की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। जांच में तीन कर्मचारियों—अस्पताल प्रभारी, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर और एक मेल स्टाफ नर्स—को जिम्मेदार ठहराया गया है।

डॉक्टर नहीं, नर्स के भरोसे छोड़ दी गई थी प्रसूता

रिपोर्ट के अनुसार, साक्षी की डिलीवरी के बाद अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। उसकी देखरेख की जिम्मेदारी मेल स्टाफ नर्स को सौंपी गई थी, जिसने न केवल इलाज में लापरवाही बरती बल्कि परिजनों से अशोभनीय व्यवहार भी किया। रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि मरीज की बिगड़ती हालत के बावजूद कोई मेडिकल इमरजेंसी प्रोटोकॉल नहीं अपनाया गया और समय रहते उचित इलाज नहीं दिया गया।

कौन-कौन थे जांच समिति में?

स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित इस चार सदस्यीय समिति में शामिल थे:

  • डॉ. संजीव वोहरा – जिला स्वास्थ्य अधिकारी
  • डॉ. निर्मला यादव – स्त्री रोग विशेषज्ञ
  • डॉ. चंद्रा राव – एनेस्थिसिया विशेषज्ञ
  • डॉ. प्रीति नारायण – नोडल अधिकारी, मातृत्व शाखा

इन सभी विशेषज्ञों ने सामूहिक रूप से रिपोर्ट तैयार कर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) को सौंप दी है। रिपोर्ट में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

आखिर क्या हुआ था साक्षी के साथ?

घटना 22 मई की रात की है। 22 वर्षीय साक्षी निषाद की डिलीवरी के लगभग 12 घंटे बाद अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। परिजनों का आरोप है कि एक वार्ड ब्वॉय द्वारा दिया गया इंजेक्शन और फिर पानी पिलाए जाने के बाद उसकी हालत और खराब हो गई। इस दौरान अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था।

दर्द से कराहती साक्षी की हालत लगातार बिगड़ती रही और इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई। इतना ही नहीं, पीड़ित परिवार का आरोप है कि महिला की मौत के दौरान अस्पताल स्टाफ ने उनके साथ दुव्यवहार भी किया।

परिवार की मांग – दोषियों को मिले सजा

मृतका के पति दीपक निषाद पहले ही CMHO और स्थानीय थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंप कर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर चुके हैं। अब जब जांच रिपोर्ट सामने आ चुकी है, तो परिवार और स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि स्वास्थ्य विभाग जल्द ही दोषियों को निलंबित या बर्खास्त करेगा।

विभागीय कार्रवाई की तैयारी

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट पर जल्द ही उच्चस्तरीय निर्णय लिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने पहले ही यह स्पष्ट किया था कि मातृ मृत्यु जैसे संवेदनशील मामलों में कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी

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