वीजा नियमों में बड़ा बदलाव किया, अब देना होगा $5,000 से $15,000 तक का सुरक्षा बॉन्ड

वॉशिंगटन : अमेरिका ने वीजा पॉलिसी में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए एक नई व्यवस्था लागू की है, जिसके तहत बी-1 (व्यवसायिक) और बी-2 (पर्यटक) वीज़ा के लिए आवेदन करने वाले विदेशी नागरिकों से $5,000 से $15,000 तक का सुरक्षा बॉन्ड जमा करवाया जाएगा। यह नया नियम 20 अगस्त 2025 से एक साल के लिए पायलट प्रोग्राम के रूप में लागू किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य वीज़ा ओवरस्टे यानी निर्धारित समय से अधिक रुकने वाले यात्रियों की संख्या में कमी लाना है।

क्या है नया वीज़ा बॉन्ड सिस्टम?

अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, कांसुलर अधिकारी वीज़ा जारी करते समय आवेदक से सुरक्षा बॉन्ड (Security Bond) के रूप में अधिकतम $15,000 तक की राशि जमा करा सकेंगे। यदि आवेदक वीज़ा की निर्धारित अवधि समाप्त होने से पहले अमेरिका छोड़ देता है, तो पूरी राशि वापस कर दी जाएगी। लेकिन नियम तोड़ने या ओवरस्टे की स्थिति में यह राशि सरकार द्वारा जब्त कर ली जाएगी

किन देशों पर पड़ेगा सबसे ज़्यादा असर?

विदेश विभाग का कहना है कि यह नई नीति उन्हीं देशों पर लागू होगी, जिनकी ओवरस्टे दर (Overstay Rate) उच्च है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चाड, इरिट्रिया, हैती, म्यांमार, यमन, बुरुंडी, जिबूती और टोगो जैसे देश इस पायलट प्रोग्राम से सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं।

इस नीति का लक्ष्य उन देशों के नागरिकों पर नजर रखना है जहां वीज़ा जांच और सत्यापन प्रणाली कमजोर है, या फिर जहां इन्वेस्टमेंट स्कीम के जरिए बिना सख्त निवास शर्तों के नागरिकता मिलती है।

वीज़ा प्रक्रिया कैसे काम करेगी?

  • यह नीति केवल बी-1 और बी-2 वीज़ा के आवेदकों पर लागू होगी।

  • चयनित यात्रियों को निर्धारित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों से ही अमेरिका में प्रवेश और निकास की अनुमति होगी।

  • नियमों का पालन करने पर बॉन्ड की पूरी राशि रिफंड कर दी जाएगी।

  • नियमों के उल्लंघन की स्थिति में राशि जब्त कर ली जाएगी

ट्रम्प प्रशासन की पहल

यह वीजा बॉन्ड पॉलिसी मूल रूप से डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की एक प्रस्तावित योजना थी, जिसे अब लागू किया जा रहा है। ट्रम्प प्रशासन अवैध प्रवास और वीजा ओवरस्टे पर सख्त नियंत्रण की नीति अपनाने के पक्ष में रहा है। विदेश विभाग का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूती देने और विदेश नीति को प्रभावी बनाने की दिशा में उठाया गया है।

पर्यटन उद्योग की चिंता

यूएस ट्रैवल एसोसिएशन ने इस नई पॉलिसी को लेकर चिंता जताई है। संगठन का कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और अमेरिका की यात्रा करना अधिक महंगा और जटिल हो सकता है।

उन्होंने बताया कि महामारी के बाद से अमेरिका में ट्रांसअटलांटिक उड़ानों के किराए में भले ही गिरावट आई हो, लेकिन कनाडा और मैक्सिको से आने वाले पर्यटकों की संख्या में 20% की गिरावट दर्ज की गई है। यदि यह पॉलिसी स्थायी रूप से लागू की जाती है, तो अमेरिका के वीज़ा शुल्क दुनिया में सबसे महंगे हो सकते हैं।

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