रायपुर में दो ननों की गिरफ्तारी पर गरमाई सियासत, बृंदा करात ने बताया अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन

रायपुर। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में केरल की दो ननों की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया है। बुधवार को लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) के प्रतिनिधिमंडल ने रायपुर जेल में बंद ननों से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। प्रतिनिधिमंडल में सीपीआई (एम) की वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यसभा सांसद बृंदा करात, सांसद के. राधाकृष्णन, जोस के. मनी, ए.ए. रहीम, पी.पी. सुनीर और सीपीआई नेता एनी राजा शामिल थे।
जेल दौरे के बाद प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में बृंदा करात ने आरोप लगाया कि राज्य में अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने कहा कि बजरंग दल और आरएसएस के कार्यकर्ता कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। करात ने सवाल उठाया, “क्या छत्तीसगढ़ में संविधान नहीं, बजरंग दल का कानून चलता है?”
बजरंग दल पर आदिवासी लड़कियों से मारपीट का आरोप
बृंदा करात ने दावा किया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने आदिवासी लड़कियों के साथ मारपीट की और जबरन कहलवाया कि वे अपनी मर्जी से यात्रा नहीं कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि गिरफ्तार की गई दोनों नन भारतीय नागरिक हैं, केरल की निवासी हैं और वर्षों से सामाजिक सेवा से जुड़ी हैं। करात ने आरोप लगाया कि ननों को पुलिस के सामने अपशब्द कहे गए और उनका अपमान किया गया।
एफआईआर रद्द करने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग
करात ने मामले को “पूरी तरह से झूठा और एक विशेष एजेंडे के तहत गढ़ा गया” बताते हुए ननों पर दर्ज एफआईआर को तत्काल रद्द करने की मांग की। साथ ही, बजरंग दल के हमलावरों और ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि दोनों ननों की तबीयत खराब है और उन्हें तीन दिनों तक परिवार से अलग रखा गया, जो कि मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
“छत्तीसगढ़ बंद हो सकता है, लेकिन संविधान नहीं”
बजरंग दल द्वारा छत्तीसगढ़ बंद बुलाए जाने पर करात ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “आप कहीं भी बंद कर लीजिए, लेकिन संविधान को बंद नहीं किया जा सकता। छत्तीसगढ़ बंद हो सकता है, संविधान नहीं होगा।”
मंगलवार को नहीं मिली थी अनुमति
उल्लेखनीय है कि प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को ही रायपुर पहुंचा था, लेकिन उस दिन उन्हें जेल में बंद ननों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई थी। बुधवार को अनुमति मिलने के बाद वे जेल पहुंचे और फिर मीडिया से बातचीत की।
केरल सीएम ने पीएम को लिखा पत्र
इस मामले को लेकर केरल के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। प्रेस वार्ता में मौजूद अन्य सांसदों और नेताओं ने भी इस पूरे घटनाक्रम को “स्क्रिप्टेड” बताते हुए अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ साजिश करार दिया।
जानिए क्या है पूरा मामला
25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मानव तस्करी और धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए दो ननों और एक युवक को रोका था। आरोप था कि ये तीनों नारायणपुर जिले की तीन लड़कियों को बहला-फुसलाकर आगरा ले जा रहे थे। इसके बाद स्टेशन पर नारेबाजी हुई और सभी को GRP के हवाले कर दिया गया। भिलाई-3 के अंतर्गत दुर्ग जीआरपी चौकी में जांच के बाद धर्मांतरण कानून की धारा 4 के तहत मामला दर्ज कर तीनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
अब इस मामले ने सियासी रंग ले लिया है और देश भर में अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर बहस छिड़ गई है।