International Tiger Day Special: छत्तीसगढ़ में बाघों की दहाड़ दोगुनी, अब 36 बाघ, अचानकमार टाइगर रिजर्व बना सबसे सुरक्षित ठिकाना

Number of tigers doubled in Chhattisgarh
रायपुर। International Tiger Day Special: छत्तीसगढ़ के जंगलों में बाघों की गिनती अब दोगुनी हो चुकी है। राज्य के तीन टाइगर रिजर्व और हाल ही में गठित गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में वन विभाग ने कुल 36 बाघों की मौजूदगी की पुष्टि की है। इनमें से अकेले अचानकमार टाइगर रिजर्व (ATR) में 10 वयस्क और आठ शावक विचरण कर रहे हैं।
2022 की तुलना में बड़ी छलांग
वन विभाग के अनुसार, वर्ष 2022 में राज्य में मात्र 17 बाघ दर्ज किए गए थे। यह संख्या 2018 की तुलना में कम थी, लेकिन अब बाघों की मौजूदगी लगभग दोगुनी हो गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में बाघों की बढ़ती आबादी के चलते कई बाघ नई टेरिटरी की तलाश में छत्तीसगढ़ के जंगलों का रुख कर रहे हैं।
कोरिया वनमंडल में भी दिखे नए बाघ
वन विभाग ने हाल ही में कोरिया वनमंडल में दो नए बाघों के विचरण की भी पुष्टि की है। अधिकारियों का कहना है कि इन बाघों की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है।
प्रे-बेस बढ़ाने की रणनीति
बाघों की संख्या में इस बढ़ोतरी का श्रेय प्रे-बेस (शिकार योग्य शाकाहारी जीव) को बढ़ाने की योजनाओं को दिया जा रहा है। इसके तहत:
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चीतल और अन्य हर्बिवोर प्रजातियों को कानन पेंडारी, जंगल सफारी और बार नवापारा से लाकर टाइगर रिजर्व में छोड़ा जा रहा है।
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ग्रासलैंड विकसित किए जा रहे हैं ताकि शाकाहारी जीवों को पर्याप्त चारा मिल सके।
इन प्रयासों से हर्बिवोर प्रजातियों की संख्या बढ़ी है, जिससे बाघों को भोजन की कमी नहीं हो रही।
अचानकमार टाइगर रिजर्व: बाघों का गढ़
राज्य के चारों टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा बाघ अचानकमार में हैं। यहां 10 वयस्क बाघ और 8 शावक देखे जा चुके हैं। अफसरों का कहना है कि बढ़ती संख्या को देखते हुए भविष्य में कुछ बाघों को अन्य टाइगर रिजर्व में ट्रांसलोकेट करना पड़ सकता है।
चुनौती: फील्ड स्टाफ की भारी कमी
हालांकि, बाघों की बढ़ती संख्या के बीच मैदानी अमले की कमी चिंता का विषय है। पर्याप्त फील्ड स्टाफ न होने से बाघों और हाथियों की नियमित मॉनिटरिंग संभव नहीं हो पाती।
अभी मॉनिटरिंग का काम मुख्य रूप से ट्रैप कैमरों पर निर्भर है। अधिकारियों का कहना है कि यही वजह है कि ओडिशा से हाथियों का आना-जाना लगातार जारी है।
छत्तीसगढ़ के जंगलों में बाघों की संख्या का दोगुना होना न केवल राज्य बल्कि देश के लिए भी बड़ी उपलब्धि है। हालांकि, फील्ड स्टाफ की कमी और हाथियों की आमद जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।