छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता घोटाला! 5.13 करोड़ का नुकसान, माओवादी फंडिंग का भी आरोप

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और राजनांदगांव जिलों में तेंदूपत्ता संग्रहण के नाम पर करोड़ों का घोटाला सामने आया है। रायपुर निवासी विवेक कुमार सिंह ने इस मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत के अनुसार, इस घोटाले से राज्य सरकार को करीब 5.13 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
शिकायत में बताया गया है कि वर्ष 2022 में राजनांदगांव के ठेकेदार सुधीर कुमार मानेक को बीजापुर जिले के भैरमगढ़ क्षेत्र में तेंदूपत्ता संग्रहण का ठेका मिला था। उन्हें 1300 मानक बोरे तेंदूपत्ता 7,299 रुपये प्रति बोरा की दर से संग्रह करना था, लेकिन उन्होंने केवल 4,997.54 मानक बोरे ही इकट्ठा किए। इनमें से 1,476.36 बोरे अवैध रूप से भैरमगढ़ अभयारण्य क्षेत्र से एकत्र किए गए, जिससे सरकार को करीब 3.64 करोड़ रुपये की क्षति हुई।
इतना ही नहीं, मजदूरों और ट्रांसपोर्टरों को अब तक भुगतान नहीं किया गया है। वहीं, इस घोटाले का दूसरा हिस्सा राजनांदगांव जिले में सामने आया है, जहां मानेक द्वारा भैरमगढ़ से लाए गए 7,348 बोरों में से 2,669 बोर गुरुकृपा गोदाम में रखे गए थे। आरोप है कि रिकॉर्ड में हेराफेरी कर 93.34 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाया गया।
इसके अतिरिक्त, बीजापुर के आठ गांवों के आदिवासी संग्राहकों को अब तक 44.79 लाख रुपये का भुगतान नहीं किया गया है। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि इस घोटाले के माध्यम से माओवादियों को फंडिंग की जा रही थी।
इस मामले में 19 जून 2025 को राजनांदगांव कोतवाली में ठगी, आपराधिक विश्वासघात और साजिश की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
सूचना आयोग के आदेश की अवहेलना पर DFO को कारण बताओ नोटिस
इस बीच एक और मामला सामने आया है जिसमें सूचना आयोग के आदेश की अवहेलना करने पर खैरागढ़ वनमंडल में पदस्थ DFO पंकज राजपूत को विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है।
मामला जनवरी 2020 का है, जब वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने महासमुंद वनमंडल से हाथियों द्वारा जन-धन हानि से संबंधित दस्तावेज मांगे थे। उस समय के जन सूचना अधिकारी मयंक पांडे ने दस्तावेज अवलोकन के लिए बुलाया था, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने साफ निर्देश दिए थे कि दस्तावेज निशुल्क भेजे जाएं।
बाद में महासमुंद में DFO पदस्थ पंकज राजपूत ने उच्च न्यायालय में अपील लंबित होने की जानकारी दी, लेकिन आयोग के बार-बार निर्देश के बावजूद कोई स्थगन आदेश प्रस्तुत नहीं किया। इस पर आयोग ने 3 अगस्त 2022 को शासन को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की थी।
तीन साल बाद भी कार्रवाई लंबित रहने पर आयोग ने 2025 में दोबारा संज्ञान लिया। इसके बाद मंत्रालय ने 11 जुलाई 2025 को DFO पंकज राजपूत को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इस लापरवाही को अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 का उल्लंघन माना गया है। उन्हें 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है।