Mungeli Police Message: “हर सैयारा सच्चा नहीं होता” – मुंगेली पुलिस का फिल्मी अंदाज में साइबर फ्रॉड के खिलाफ चेतावनी, पोस्ट हुआ वायरल

Mungeli Police Message

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रायपुर। Mungeli Police Message: फिल्म ‘सैयारा’ जहां इन दिनों अपने इमोशनल लव स्टोरी को लेकर सुर्खियों में है, वहीं छत्तीसगढ़ की मुंगेली पुलिस ने इसी फिल्म के नाम को इस्तेमाल करते हुए साइबर ठगी के खिलाफ एक दिलचस्प संदेश सोशल मीडिया पर शेयर किया है। पुलिस का ये पोस्ट न सिर्फ जागरूकता फैलाने वाला है, बल्कि फिल्मी अंदाज में लिखा गया यह मैसेज लोगों को हंसाते हुए सावधान भी कर रहा है।

पुलिस की पोस्ट ने बटोरी सुर्खियां

मुंगेली पुलिस ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर एक पोस्ट करते हुए लिखा –

“‘सैयारा’ की प्रेम कहानी दिल को छू जाती है, पर ऑनलाइन दुनिया में हर ‘सैयारा’ सच्चा नहीं होता। याद रखें, प्यार में दिल दिया जाता है, OTP या पासवर्ड नहीं। अगर कोई ‘I love you’ कहने के बाद आपका पिन या OTP मांगे, तो वो आपके दिल का नहीं, आपके बैंक बैलेंस का दीवाना है।”

यह पोस्ट सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। लोग न सिर्फ इसे सराह रहे हैं, बल्कि कमेंट सेक्शन में मजेदार प्रतिक्रियाएं भी दे रहे हैं।

फिल्म के बहाने फ्रॉड से बचाव की सीख

बता दें, 18 जुलाई को रिलीज हुई मोहित सूरी निर्देशित फिल्म ‘सैयारा’ एक इमोशनल रोमांटिक ड्रामा है, जिसे दर्शकों का भरपूर प्यार मिल रहा है। इस फिल्म की लोकप्रियता को देखते हुए मुंगेली पुलिस ने एक रचनात्मक तरीका अपनाया है, जिससे वे लोगों को ऑनलाइन फ्रॉड के प्रति जागरूक कर सकें।

पुलिस का यह प्रयास यह दिखाता है कि कैसे ट्रेंडिंग टॉपिक और पॉप कल्चर का उपयोग करके लोगों को महत्वपूर्ण जानकारी और सुरक्षा सलाह दी जा सकती है।

सोशल मीडिया पर लोगों ने दी प्रतिक्रिया

मुंगेली पुलिस की इस पोस्ट पर हजारों व्यूज़ और लाइक्स आ चुके हैं। सोशल मीडिया यूज़र्स इस पोस्ट को “क्रिएटिव और स्मार्ट”, “फिल्मी लेकिन सच्चा मैसेज” जैसे कमेंट्स के साथ शेयर कर रहे हैं।

कई लोगों ने यह भी लिखा कि अगर सभी पुलिस विभाग इसी तरह से आसान और दिलचस्प भाषा में जनजागरूकता फैलाएं, तो लोग ज़रूर सीखेंगे।

‘सैयारा’ फिल्म के बहाने मुंगेली पुलिस ने साइबर ठगों से सावधान रहने का एक सटीक और असरदार तरीका चुना है। डिजिटल युग में जहां प्यार और धोखाधड़ी दोनों ही वर्चुअल हो गए हैं, ऐसे में यह मैसेज याद दिलाता है कि दिल देना ठीक है, लेकिन OTP नहीं।

इस तरह के प्रयास न केवल पुलिस और आम जनता के बीच की दूरी को कम करते हैं, बल्कि एक सुरक्षित डिजिटल समाज की दिशा में भी अहम कदम साबित होते हैं।

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