Ric Troika: चीन ने फिर से उठाई रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय सहयोग की मांग, क्या बढ़ते क्वाड की काट तलाश रहा है बीजिंग?

Ric Troika

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नई दिल्ली। Ric Troika: भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे लद्दाख गतिरोध के कारण आपसी संबंधों में भारी ठहराव देखा गया था, लेकिन अब इन रिश्तों में फिर से गर्माहट लौटती दिख रही है। पिछले साल कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच संवाद की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। इसी कड़ी में चीन ने एक बार फिर रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय सहयोग को बहाल करने की वकालत की है।

रूस की पहल, चीन का समर्थन

गुरुवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि रूस, भारत और चीन के बीच त्रिपक्षीय सहयोग न केवल तीनों देशों के हित में है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र और वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता बनाए रखने में भी सहायक होगा। यह प्रतिक्रिया रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको के उस बयान के बाद आई जिसमें उन्होंने उम्मीद जताई कि RIC फॉर्मेट को फिर से शुरू किया जा सकता है और इस दिशा में बीजिंग और नई दिल्ली के साथ बातचीत चल रही है।

रुडेंको ने कहा, “हमारा मानना है कि आरआईसी जैसे मंच की अनुपस्थिति ठीक नहीं है। हम आशा करते हैं कि जब तीनों देशों के आपसी संबंध उचित स्तर तक सुधर जाएंगे, तब त्रिपक्षीय सहयोग फिर से शुरू हो सकेगा।”

चीन का स्पष्ट संदेश

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने मीडिया से बातचीत में कहा, “रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय सहयोग से संबंधित हितों को साधने के साथ-साथ यह वैश्विक और क्षेत्रीय शांति एवं विकास में भी योगदान देगा। चीन इस दिशा में भारत और रूस के साथ संवाद को बनाए रखने के लिए तैयार है।”

चीन की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब विदेश मंत्री एस जयशंकर हाल ही में चीन की यात्रा से लौटे हैं। उन्होंने एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया था, जहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मुलाकात की थी।

भारत-चीन गतिरोध और RIC में ठहराव

2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव के कारण RIC फॉर्मेट में सहयोग रुक गया था। हालांकि रूस लगातार इस त्रिपक्षीय मंच को पुनर्जीवित करने की कोशिश करता रहा है। रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने भी इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन के बीच संबंध सामान्य होते ही RIC को दोबारा सक्रिय किया जाना चाहिए।

चीन की बेचैनी का कारण: क्वाड?

चीन की बढ़ती RIC में रुचि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्वाड (Quad) गठबंधन से जोड़कर देखा जा रहा है। अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का यह समूह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीति को संतुलित करने के मकसद से काम करता है। बीजिंग इसे अपने प्रभाव को रोकने की कोशिश के रूप में देखता है। ऐसे में चीन RIC के माध्यम से भारत को फिर से अपने पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रहा है।

रूस की रणनीति और भारत की अहमियत

यूक्रेन युद्ध के बाद रूस को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ने का डर सता रहा है। भारत के साथ उसके पारंपरिक रिश्ते और यूरोपीय संघ के साथ भारत के बढ़ते संबंधों से वह चिंतित है। ऐसे में RIC फॉर्मेट रूस के लिए एक संतुलन बनाने का माध्यम बन सकता है।

रूसी विश्लेषकों का मानना है कि यूरेशिया में सहयोग के किसी भी फॉर्मेट की आज ज़रूरत है, क्योंकि यह क्षेत्र लंबे समय से संघर्षों और अस्थिरता का शिकार रहा है। रूसी रिसर्चर लिडिया कुलिक के अनुसार, भारत और चीन के बीच असहज संबंधों के बीच मॉस्को एक मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है और RIC एक उपयुक्त मंच हो सकता है।

क्या पटरी पर लौटेगा त्रिपक्षीय संवाद?

भारत और चीन के बीच संवाद की हालिया कोशिशों, जैसे विदेश मंत्री जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चीन यात्राएं, यह संकेत देती हैं कि दोनों देश संबंधों को पटरी पर लाने की दिशा में गंभीर हैं। ऐसे में अगर यह प्रयास सफल होते हैं तो RIC फॉर्मेट का पुनर्जीवन भी संभव हो सकता है।

RIC फॉर्मेट की बहाली की बात जहां एक ओर वैश्विक सहयोग और स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक पहल मानी जा सकती है, वहीं इसके पीछे छिपी कूटनीतिक रणनीतियां भी साफ झलकती हैं। चीन की बेचैनी और रूस की कूटनीतिक जरूरतें मिलकर भारत को एक बार फिर केंद्र में ला रही हैं। अब यह भारत पर निर्भर करेगा कि वह अपनी राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए इस त्रिपक्षीय सहयोग का हिस्सा बनता है या नहीं।

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