Mallikarjun Kharge CG Visit: कार्यकर्ताओं की नारेबाजी पर भड़के खरगे, कहा – चुप बैठो, चुनाव में दिखाना जोश; मंच पर दिखी कांग्रेसी गुटबाजी

Mallikarjun Kharge Chhattisgarh Visit

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रायपुर। Mallikarjun Kharge CG Visit: राजधानी के साइंस कॉलेज मैदान में रविवार को कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘किसान-जवान-संविधान’ जनसभा के दौरान एक अजीबोगरीब स्थिति बन गई। मंच से राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे, लेकिन इस दौरान NSUI के उत्साही कार्यकर्ताओं की लगातार नारेबाजी से वह नाराज हो गए। उन्होंने मंच से ही कार्यकर्ताओं को फटकारते हुए कहा – “चुप बैठो, चुनाव में दिखाना जोश।”

केवल खरगे ही नहीं, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत भी NSUI कार्यकर्ताओं की ओर से की जा रही नारेबाजी से असहज हुए और मंच से उन्हें फटकार लगाई। सभा के दौरान सचिन पायलट ने खुद उठकर कार्यकर्ताओं को संयम बरतने की हिदायत दी। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भी उन्हें शांत करने की कोशिश की। पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल तक को अपनी सीट छोड़कर कार्यकर्ताओं के पास जाकर समझाइश देनी पड़ी।

मंच पर दिखी कांग्रेस की अंतर्कलह

सभा में संगठनात्मक एकता की बजाय आपसी खींचतान खुलकर सामने आ गई। राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे और केसी वेणुगोपाल के स्वागत के दौरान मंच पर उपस्थित नेता आपसी टकराव की स्थिति में नजर आए।

इस दौरान जब पूर्व विधायक विकास उपाध्याय मंच से सभा को संबोधित कर रहे थे, तभी रायपुर पश्चिम से विधायक देवेंद्र यादव माइक छीनने की कोशिश करते नजर आए। विकास उपाध्याय स्वागत में नारे लगा रहे थे, उसी समय देवेंद्र यादव ने भी माइक पकड़ लिया और नारे लगाने लगे। कुछ देर बाद जब खड़गे मंच पर पहुंचे, तब माइक देवेंद्र यादव को वापस करना पड़ा।

इस पूरे घटनाक्रम ने न सिर्फ कार्यक्रम की गरिमा को ठेस पहुंचाई बल्कि यह भी जाहिर किया कि कांग्रेस के भीतर गुटबाजी और वरिष्ठता को लेकर मतभेद अब खुलकर सामने आने लगे हैं।

जनसभा का उद्देश्य और राजनीतिक संदेश

इस सभा का उद्देश्य किसानों, युवाओं और संविधान के मुद्दों पर जनता से संवाद स्थापित करना था। प्रदेशभर से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ ने इसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बना दिया था।

हालांकि, कार्यकर्ताओं की अनुशासनहीनता और नेताओं के बीच मंच पर दिखे टकराव ने इस आयोजन की गंभीरता को हल्का कर दिया। मल्लिकार्जुन खरगे का स्पष्ट संदेश था कि कार्यकर्ता जोश जरूर दिखाएं, लेकिन वह चुनाव के मैदान में हो, मंच पर नहीं।

अब देखना होगा कि इस कार्यक्रम के बाद कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को एकजुट कर पाती है या फिर यह मंचीय मतभेद आने वाले समय में पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरते हैं।

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