कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला से खास बातचीत: “धर्म का व्यापार नहीं, आस्था का सम्मान करते हैं”

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की राजनीति का एक चर्चित चेहरा, सुशील आनंद शुक्ला, अब पार्टी के रणनीति विशेषज्ञ के रूप में नई भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। छात्र राजनीति से अपनी यात्रा शुरू करने वाले शुक्ला ने विचारधारा, संगठन और रणनीति के क्षेत्र में अपनी गहरी पकड़ बनाई है।

यूथ विंग्स को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस के छत्तीसगढ़ संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला से विस्तृत बातचीत की गई। इस संवाद में उन्होंने न सिर्फ अपने राजनीतिक सफर को साझा किया, बल्कि पार्टी की विचारधारा, मीडिया प्रबंधन, धर्म और राजनीति के अंतर और वर्तमान प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों पर भी बेबाक राय रखी।

बयानबाज़ी के बीच रणनीति और जवाबदेही

सुशील शुक्ला ने कहा कि संचार विभाग की जिम्मेदारी बेहद चुनौतीपूर्ण होती है। नेताओं के बयानों को सही संदर्भ में प्रस्तुत करना और विपक्ष के आरोपों का तार्किक जवाब देना हमारी भूमिका का अहम हिस्सा है। उन्होंने बताया कि किसी भी बयान को गलत तरीके से पेश किया जाता है तो पहले संबंधित नेता से बात कर स्थिति स्पष्ट की जाती है। अगर जरूरी हो तो तुरंत करेक्शन भी कराया जाता है।

“सनातन की रक्षा किसी राजनीतिक दल की मोहताज नहीं”

धर्म और राजनीति के रिश्ते पर पूछे गए सवाल पर सुशील शुक्ला ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल को यह दावा नहीं करना चाहिए कि वह सनातन धर्म का रक्षक है। सनातन स्वयं में पूर्ण है और उसे किसी पार्टी की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, “हम पूजा करते हैं, मंदिर जाते हैं, लेकिन हम धर्म का प्रदर्शन या व्यापार नहीं करते। हमारे लिए धर्म निजी आस्था और संस्कृति का विषय है, न कि प्रचार का माध्यम।”

कांग्रेस क्यों नहीं छोड़ी?

राजनीतिक बदलावों के दौर में जब कई नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं, सुशील शुक्ला आज भी पार्टी के साथ मजबूती से खड़े हैं। इस पर उन्होंने कहा, “कांग्रेस सिर्फ एक पार्टी नहीं, एक विचारधारा है। जिसने कांग्रेस का इतिहास, आज़ादी में उसका योगदान और उसके मूल्यों को समझा है, वह कभी इसे छोड़ने की सोच भी नहीं सकता।”

छात्र राजनीति से लेकर संचार प्रमुख बनने तक का सफर

उन्होंने बताया कि छात्र राजनीति से ही कांग्रेस से जुड़ाव रहा। कॉलेज में छात्रसंघ के अध्यक्ष बनने के बाद NSUI और फिर युवा कांग्रेस में सक्रिय भूमिका निभाई। समय-समय पर मिले दायित्वों ने उन्हें निखारने का अवसर दिया और पार्टी ने भी उनकी क्षमताओं पर भरोसा जताया। इसी भरोसे की बदौलत आज वे प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग की कमान संभाल रहे हैं।

विपक्ष में रहते हुए मीडिया की भूमिका पर जताया भरोसा

वर्तमान में विपक्ष में रहते हुए मीडिया कवरेज को लेकर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की मीडिया आज भी विपक्ष की आवाज़ को जगह देती है, यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है। उन्होंने यह भी माना कि सत्ता में रहते हुए सरकारी तंत्र के सहयोग से संवाद स्थापित करना आसान होता है, जबकि विपक्ष में रहकर चुनौतियाँ अधिक होती हैं।

“मुख्यमंत्री पद के चेहरे का फैसला विधायक दल और आलाकमान करेगा”

आगामी चुनावों को लेकर मुख्यमंत्री पद के चेहरे के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस में नेतृत्व की कमी नहीं है। भूपेश बघेल, दीपक बैज, टी.एस. सिंहदेव, डॉ. चरणदास महंत जैसे अनुभवी नेता पार्टी के पास मौजूद हैं। लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला विधायक दल और पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व करेगा।

राष्ट्रीय अध्यक्ष की रैली को बताया ऊर्जा का संचार

उन्होंने बताया कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की प्रस्तावित यात्रा पार्टी के लिए नई ऊर्जा का संचार करेगी। यह दौरा तब हो रहा है जब राज्य में कोई चुनाव नहीं है, फिर भी पार्टी की सक्रियता यह दिखाती है कि वह हर समय जनता के मुद्दों पर केंद्रित है।

“पार्टी जो भी काम देगी, शिरोधार्य होगा”

राजनीतिक महत्वाकांक्षा के सवाल पर उन्होंने बेझिझक कहा कि हर राजनेता के भीतर कुछ इच्छाएं होती हैं, लेकिन सत्ता के लिए पार्टी नहीं छोड़ी जा सकती। पार्टी ने अब तक उन्हें जिस भी भूमिका में रखा, उन्होंने उसे पूरी निष्ठा से निभाया है, और आगे भी जो जिम्मेदारी मिलेगी, उसे स्वीकार करेंगे।

पूरा इंटरव्यू देखने के लिए यहाँ क्लिक करें- https://www.youtube.com/watch?v=ciib5yGAe4Q

 

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