US-India Tariff Deal: राहुल गांधी का दावा – मोदी अमेरिका के दबाव में झुकेंगे

अमेरिका के साथ चल रही टैरिफ बातचीत को लेकर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने दावा किया है कि अमेरिका द्वारा तय की गई टैरिफ समयसीमा (9 जुलाई) के आगे प्रधानमंत्री झुक जाएंगे और व्यापार समझौता करने को मजबूर होंगे। राहुल गांधी ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बयानों को लेकर भी तंज कसा है और कहा है कि ‘छाती पीटने से सच नहीं बदलता।’

राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर बोला हमला

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “पीयूष गोयल अपनी छाती पीट लें। लेकिन मेरे शब्दों को याद रखिए – मोदी ट्रंप की टैरिफ समयसीमा के आगे झुक जाएंगे।” उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की जब भारत और अमेरिका के बीच अंतरिम व्यापार समझौते को लेकर बातचीत निर्णायक मोड़ पर है।

क्या है विवाद का मूल?

बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भारत को “टैरिफ किंग” कहा गया था। ट्रंप ने भारत पर पारस्परिक टैरिफ का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था और इसी के तहत उन्होंने 2 अप्रैल को अमेरिकी उत्पादों पर 26% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। हालांकि बाद में उन्होंने इस टैरिफ को 90 दिनों के लिए निलंबित कर दिया, ताकि दोनों देश बातचीत से कोई समाधान निकाल सकें। यही 90 दिनों की समयसीमा 9 जुलाई 2025 को समाप्त हो रही है।

अगर इस समयसीमा तक भारत-अमेरिका के बीच कोई अंतरिम व्यापार समझौता नहीं होता, तो भारत को अमेरिकी उत्पादों पर 26% टैरिफ के लिए तैयार रहना होगा, जो भारत के कई सेक्टरों पर असर डाल सकता है।

भारत ने क्या रुख अपनाया है?

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बयान दिया था कि “भारत अमेरिका के साथ तभी व्यापार समझौता करेगा, जब उसके अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा सुनिश्चित होगी। हम कभी भी समय सीमा या दबाव में सौदे नहीं करते।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक संतुलित और परस्पर लाभकारी व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध है।

किन मुद्दों पर टकराव?

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर कई अहम बिंदुओं पर सहमति नहीं बन पाई है। खासकर:

  • कृषि क्षेत्र: अमेरिका चाहता है कि भारत मक्का, सोयाबीन और अन्य कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करे, लेकिन भारत ने इसमें कोई नरमी नहीं दिखाई है।
  • डेयरी सेक्टर: ट्रंप प्रशासन भारत के डेयरी बाजार में व्यापक पहुंच चाहता था, लेकिन भारत ने इसका विरोध किया है क्योंकि यह क्षेत्र 8 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है।
  • डिजिटल टैक्सेशन और आईटी सेवाएं: इसमें भी दोनों देशों के दृष्टिकोण में फर्क है।

क्या है अमेरिका की रणनीति?

अमेरिका ने ट्रंप काल में भारत से व्यापार असंतुलन का मुद्दा उठाया था और टैरिफ के जरिए दबाव बनाने की नीति अपनाई थी। इस रणनीति का ही हिस्सा थी 26% टैरिफ की घोषणा, जिसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब यह समयसीमा नजदीक आ गई है।

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