‘पानी दो वरना जंग के लिए तैयार रहो’ – बिलावल की जहरभरी धमकी पर भारत का सख्त जवाब- ‘जो करना है कर लो!’

ऑपरेशन सिंदूर के जरिये करारा जवाब मिलने और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने से पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है। स्थिति यह है कि पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और PPP प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी अब भारत को खुलेआम गीदड़ भभकियां दे रहे हैं। लेकिन भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब पाकिस्तान की धमकियों से न दबेंगे और न ही सिंधु जल समझौते को बहाल किया जाएगा।

भारत ने दिखाया दम, पाकिस्तान दे रहा गीदड़ भभकियां
गौरतलब है कि अप्रैल महीने में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई थी। इस हमले के बाद भारत सरकार ने पांच बड़े कदम उठाए, जिनमें सबसे बड़ा और चौंकाने वाला निर्णय था—1965 में हुई सिंधु जल संधि को निलंबित करना। इस फैसले के बाद पाकिस्तान तिलमिला उठा है।

पाकिस्तान के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने एक आक्रामक बयान देते हुए कहा—
“अगर भारत ने सिंधु जल संधि को नहीं माना, तो पाकिस्तान सभी छह नदियों से पानी लेगा। भारत या तो संधि फिर से बहाल करे या फिर युद्ध के लिए तैयार हो जाए।”
यह पहली बार नहीं है जब बिलावल ने ऐसा बयान दिया है। इससे पहले भी उन्होंने कहा था, “अगर पानी नहीं बहेगा, तो खून बहेगा।”

भारत का सख्त जवाब – “पानी कहीं नहीं जाएगा”
बिलावल के इस बयान का करारा जवाब दिया है भारत के जलशक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने। उन्होंने एक लाइन में दो टूक कहा:
“पानी कहीं नहीं जाएगा, जो बोलना है बोलते रहो। हम ऐसी धमकियों से डरते नहीं हैं।”
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के नेताओं को अपनी घरेलू राजनीति के लिए बयान देना है तो दें, लेकिन भारत अब भावनात्मक या कूटनीतिक दबाव में कोई नरमी नहीं बरतेगा।

गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा ऐलान – संधि कभी बहाल नहीं होगी
बीते दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी स्पष्ट कर दिया था कि सिंधु जल संधि अब अतीत की बात है। उन्होंने कहा:
“भारत ने एक बार फैसला ले लिया है कि यह संधि बहाल नहीं होगी। आतंकवाद फैलाकर पाकिस्तान दोस्ती की उम्मीद नहीं कर सकता।”

क्या है सिंधु जल संधि?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। इसके तहत भारत ने पूर्वी नदियों—रावी, ब्यास और सतलुज—का जल उपयोग करने का अधिकार अपने पास रखा, जबकि पश्चिमी नदियां—सिंधु, झेलम और चिनाब—का अधिकतर हिस्सा पाकिस्तान को दिया गया।

भारत के इस निर्णय से पाकिस्तान को न केवल पानी की चिंता सताने लगी है, बल्कि उसकी कूटनीतिक साख को भी झटका लगा है। इसलिए अब वह सार्वजनिक मंचों से ऐसे उग्र बयान दे रहा है।

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