23 एकड़ ज़मीन घोटाले का खुलासा, पावर प्लांट को भूमि खाली करने का आदेश

रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक बड़े ज़मीन घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। नवदुर्गा फ्यूल पावर लिमिटेड द्वारा पिछले 20 वर्षों से कोटवारी जमीर (सेवा भूमि) पर किए गए अवैध कब्जे की पुष्टि के बाद राजस्व विभाग ने 23 एकड़ ज़मीन को खाली कराने का आदेश जारी किया है। यह जमीन रायगढ़-घरघोड़ा मार्ग पर स्थित है।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ, जब आवेदिका सुलोचनी चौहान ने प्रशासन से शिकायत की कि उनके पति, पूर्व कोटवार स्व. बसंत लाल चौहान को जो जमीन गुजर-बसर के लिए शासन से मिली थी, उस पर नवदुर्गा फ्यूल पावर लिमिटेड ने कब्जा कर रखा है। आवेदिका ने दावा किया कि उनके पति के निधन के बाद, वह वर्तमान में कोटवार हैं और बीते 21 वर्षों से वह अपनी भूमि पर खेती नहीं कर सकीं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
विवाद की जड़: सहमति पत्र और ज़मीन अदला-बदली
मामले में नवदुर्गा फ्यूल की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार, 20 मई 2005 को स्व. बसंत लाल चौहान ने एक सहमति पत्र दिया था, जिसमें उन्होंने ग्राम सराईपाली स्थित कोटवारी भूमि खसरा नंबर 395-2, रकबा 0.955 हेक्टेयर नवदुर्गा कंपनी को देने की बात कही थी। इसके बदले में कंपनी ने उन्हें तीन अन्य खसरा नंबरों की कुल 1.037 हेक्टेयर भूमि देने और एक लाख रुपये नकद भुगतान करने की बात कही थी।
लेकिन जांच में सामने आया कि यह सहमति पत्र वैधानिक नहीं है, क्योंकि कोटवारी भूमि पर किसी भी प्रकार का क्रय-विक्रय या हस्तांतरण कोटवार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। यह पूर्णतः कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए सहमति पत्र की कोई कानूनी मान्यता नहीं है।
प्रशासन की कार्रवाई और महिला की मांग
आवेदिका सुलोचनी चौहान ने आवेदन में बताया कि:
- वह विधवा हैं और उनके दो छोटे बच्चे हैं।
- 21 साल से खेती नहीं कर पाने के कारण उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ है।
- नवदुर्गा द्वारा दी गई ज़मीन मौके पर खाली पाई गई, यानी व्यावहारिक रूप से कोई भूमि अदला-बदली नहीं हुई।
- उन्होंने प्रशासन से गुज़ारिश की कि उन्हें 21 सालों की एक प्रतिशत माह चक्रवृद्धि ब्याज दर से 80 लाख रुपये का मुआवजा दिलाया जाए।
- साथ ही सराईपाली स्थित अवैध कब्जे वाली भूमि को मुक्त कर उन्हें वापस सौंपी जाए।
राजस्व विभाग की सख्त कार्रवाई
जांच के बाद राजस्व विभाग ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि नवदुर्गा फ्यूल पावर लिमिटेड द्वारा ज़मीन पर अवैध कब्जा किया गया था। इसके बाद कंपनी को नोटिस जारी करते हुए 15 दिनों के भीतर भूमि खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया है। यह आदेश कलेक्टर स्तर से पारित हुआ है, जो जमीन को पुनः सरकारी कब्जे में लेने के लिए निर्णायक माना जा रहा है।