भूपेश बघेल का मोदी सरकार पर तीखा हमला: बोले- देश को मिला है एक ‘कुपढ़ प्रधानमंत्री’, NIA और मनरेगा पर भी उठाए सवाल

रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के 11 वर्ष पूरे होने के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा चलाए जा रहे “संकल्प से सिद्धि” अभियान के बीच कांग्रेस ने तीखा राजनीतिक हमला बोला है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार को जमकर घेरा।

पीएम की डिग्री पर तंज, “देश को मिला है कुपढ़ प्रधानमंत्री”
भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर सीधे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अब यह साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री शिक्षित नहीं हैं। बघेल ने कहा, “देश को पिछले 11 सालों में एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो ज्ञान के नाम पर नाली की गैस, बादलों में रडार की काम न करने की थ्योरी, और मौसम का बच्चों पर असर न होने जैसी बातें करता है।” उन्होंने यह आरोप भी जोड़ा कि इन ग्यारह वर्षों में पीएम मोदी ने देश को भ्रमित करने वाली सूचनाएं दीं और अब तक अपनी डिग्री का प्रमाण सार्वजनिक नहीं किया।

नक्सल मुद्दे पर केंद्र सरकार और NIA को घेरा
भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल की जमीनी हकीकत का हवाला देते हुए केंद्र की नीतियों और NIA (राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित जिलों जैसे बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा से हजारों ग्रामीण युवा पलायन कर रहे हैं। इसका कारण उन्होंने NIA द्वारा की जा रही जबरन गिरफ्तारियों और झूठे मुकदमों को बताया।
बघेल ने दावा किया कि बीते डेढ़ साल में NIA ने सैकड़ों केस दर्ज किए हैं जिनमें कई मामलों में अदालत से आरोपी बरी हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन इलाकों में फर्जी मुठभेड़ों की घटनाएं भी सामने आई हैं, लेकिन सरकार इन मामलों को सार्वजनिक नहीं कर रही है और आंकड़ों को छिपा रही है।

रोजगार संकट और मनरेगा की दुर्दशा पर चिंता
बघेल ने ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को लगभग ठप कर दिया है। उनके अनुसार, आज ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसर खत्म होते जा रहे हैं, जिससे मजबूर होकर लोग गांव छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “जब लोगों को अपने गांवों में ही काम नहीं मिलेगा, तो वे कैसे जिएंगे? केंद्र सरकार ने मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना को नजरअंदाज कर दिया है, जो कभी ग्रामीण जीवनरेखा मानी जाती थी।”

राजनीतिक रणनीति का हिस्सा या जमीनी हकीकत?
भूपेश बघेल के इन बयानों को सियासी विश्लेषक भाजपा के “संकल्प से सिद्धि” अभियान के जवाब में कांग्रेस की रणनीतिक प्रतिक्रिया मान रहे हैं। वहीं, कुछ जानकारों का कहना है कि यह बयान सिर्फ सियासी नहीं, बल्कि बस्तर अंचल की असल तस्वीर को भी उजागर करता है।

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