ढाई साल बाद सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व में बाघ की वापसी, बैल का शिकार करते कैमरे में कैद हुआ वीडियो

Sitanadi-Udanti Tiger Reserve
Sitanadi-Udanti Tiger Reserve: छत्तीसगढ़ के सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व से एक बड़ी और रोमांचक खबर सामने आई है। करीब ढाई साल के लंबे इंतजार के बाद इस रिजर्व में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। रविवार को रिजर्व के अरसीकन्हार रेंज में बाघ ने एक बैल का शिकार किया, जिसका वीडियो भी सामने आया है। इससे पहले भी बाघ के पैरों के निशान मिले थे, लेकिन कैमरे में उसकी तस्वीरें नहीं आ पा रही थीं।
8 दिन की लगातार निगरानी के बाद मिली सफलता
सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व के DFO वरुण जैन ने जानकारी दी कि बाघ की मौजूदगी की पुष्टि 8 दिनों की कड़ी निगरानी के बाद हुई है। शनिवार रात लगाए गए ट्रैप कैमरे में पहली बार बाघ की तस्वीर कैद हुई। इसके अगले ही दिन रविवार को बैल का शिकार करते हुए भी बाघ कैमरे में रिकॉर्ड हुआ।
अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि यह बाघ किस राज्य से आया है। इसके लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून को तस्वीरें भेजी गई हैं ताकि पहचान की जा सके।
2.5 साल बाद फिर दिखा टाइगर
सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व में बाघ की आखिरी मौजूदगी अक्टूबर 2022 में दर्ज हुई थी, जब एक बाघ तेलंगाना से महाराष्ट्र होते हुए यहां पहुंचा था। उससे पहले 2019 में एक बाघ मध्यप्रदेश से यहां आया था। लेकिन बीते ढाई सालों में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं था। अब 2025 में फिर से बाघ की वापसी हुई है, जो वन विभाग की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
वन विभाग की कोशिशों का असर
रिजर्व क्षेत्र में वन विभाग ने वन्य प्राणियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कुल 1852 वर्ग किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र के बफर जोन में बीते डेढ़ साल में 700 हेक्टेयर जंगल से 250 अतिक्रमणकारियों को हटाया गया। इसके चलते जंगल का प्राकृतिक संतुलन दोबारा बन रहा है।
उदंती और सीतानदी क्षेत्र ओडिशा के नुआपड़ा और नवरंगपुर जिलों से सटे हैं, जहां शिकारी गिरोह सक्रिय रहते हैं। लेकिन एंटी-पोचिंग टीमों ने लगातार अभियान चलाकर इन पर नियंत्रण पाया है।
गर्मी में पानी का इंतजाम बना वरदान
गर्मी के सीजन में पहली बार वन विभाग ने कोर जोन के अंदर 8 बड़े जलाशयों को सोलर पंपों के जरिए पानी से लबालब कर दिया है। इसके साथ ही बाघ कॉरिडोर में 1000 से ज्यादा ‘झेरिया’ (जलभराव वाले गड्ढे) बनाए गए हैं, जिससे वन्य जीवों को पानी की कमी नहीं हो रही है।
इस कदम से न केवल बाघ, बल्कि अन्य जानवरों की संख्या में भी वृद्धि देखी जा रही है।
मानव-वन्य जीव संघर्ष में भी आई कमी
रिजर्व के कोर जोन में 51 और बफर जोन में 59 गांव बसे हैं। पहले यहां हर साल 8 से 10 वन्य प्राणियों के शिकार और इतने ही मानव-वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं होती थीं। लेकिन जंगल से अतिक्रमण हटाने और जल संसाधन बढ़ाने के कारण अब इन घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व में बाघ की वापसी वन विभाग के लिए एक बड़ी सफलता है। यह न केवल पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से अहम है, बल्कि यह दर्शाता है कि सही संरक्षण प्रयासों से वन्य जीवन को पुनर्जीवित किया जा सकता है। अब उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में यहां और भी बाघों की मौजूदगी दर्ज होगी और यह रिजर्व फिर से बाघों का स्थायी आवास बन सकेगा।