362 स्कूल ऐसे जहां शिक्षक है-मगर छात्र नहीं, 7127 विद्यालय ऐसे जहां 1 शिक्षक- सैकड़ों बच्चे, युक्तियुक्तकरण से सरकार ने बताया समाधान

रायपुर: छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार की ओर एक बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने स्कूली शिक्षा को ज्यादा प्रभावशाली, संतुलित और बच्चों के अनुकूल बनाने के लिए युक्तियुक्तकरण (Rationalisation) की प्रक्रिया शुरू की है। इस पहल का मकसद स्पष्ट है — हर स्कूल में पर्याप्त शिक्षक हों, बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, और शैक्षणिक संसाधनों का बेहतर उपयोग हो।
क्या है युक्तियुक्तकरण?
युक्तियुक्तकरण का मतलब है स्कूलों और शिक्षकों की पुनर्संरचना — जहां छात्र ज्यादा हैं लेकिन शिक्षक कम, वहां शिक्षक भेजे जाएंगे; और जहां शिक्षक ज्यादा हैं लेकिन छात्र नहीं, वहां से उन्हें स्थानांतरित किया जाएगा। इससे छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित होगा और शिक्षक विहीन स्कूलों की समस्या खत्म होगी।
आंकड़े बताते हैं असंतुलन की स्थिति:
30,700 प्राथमिक स्कूलों में औसतन 21.84 छात्र प्रति शिक्षक और
13,149 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में 26.2 छात्र प्रति शिक्षक हैं — यह राष्ट्रीय औसत से बेहतर है।
फिर भी:
212 प्राथमिक स्कूल पूरी तरह शिक्षक विहीन हैं।
6,872 प्राथमिक स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक है।
362 स्कूलों में शिक्षक हैं लेकिन छात्र नहीं।
शहरी क्षेत्र के 245 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 40 से अधिक है — यानी एक शिक्षक पर भारी संख्या में छात्र हैं।
कैसे बदलेगी व्यवस्था?
जिन स्कूलों में शिक्षक तो पर्याप्त संख्या में हैं लेकिन छात्र बहुत कम या नहीं हैं, वहां से शिक्षकों को उन स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा जहां शिक्षकों की कमी है। इस पहल से शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक वाले स्कूलों की समस्या का समाधान होगा। इसके साथ ही स्कूल संचालन का खर्च कम होगा और शैक्षणिक संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा।
बार-बार अलग-अलग स्कूलों में एडमिशन लेने की आवश्यकता नहीं :
इसके अतिरिक्त, सरकार की योजना है कि एक ही परिसर में प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी कक्षाएं संचालित की जाएं। इससे बच्चों को हर स्तर की शिक्षा के लिए बार-बार अलग-अलग स्कूलों में एडमिशन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी, और ड्रॉपआउट दर में उल्लेखनीय कमी आएगी। एकीकृत परिसर में बेहतर बिल्डिंग, लैब, लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं एक ही जगह उपलब्ध कराना भी आसान होगा।
भ्रम फैलाने वालों को जवाब
शिक्षा विभाग ने कुछ शैक्षिक संगठनों द्वारा युक्तियुक्तकरण को लेकर उठाए गए भ्रामक सवालों पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य किसी भी स्कूल को बंद करना नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता और कार्यप्रणाली को बेहतर बनाना है। यह निर्णय पूरी तरह बच्चों के हित में और शिक्षकों की प्रभावी तैनाती सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल राज्य की शिक्षा प्रणाली को और अधिक सशक्त, संतुलित और व्यावहारिक बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। युक्तियुक्तकरण से न केवल शिक्षकों का समुचित और न्यायसंगत उपयोग संभव होगा, बल्कि विद्यार्थियों को भी बेहतर, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जा सकेगी।